लखनऊ विश्वविद्यालय में डाकघर स्थापित किए जाने को लेकर कुलपति एसके शुक्ला से हुई चर्चा। लविवि आधार से लेकर स्पीड पोस्ट तक की राह होगी आसान।
लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने विद्यार्थियों व कर्मचारियों की सुविधाओं को लेकर बड़ा कदम उठाया है। विद्यार्थियों और कर्मचारियों को रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट समेत डाकघर पर मिलने वाली सभी जरूरतों के लिए बाहर जाने से निजात मिलेगी। इसके लिए लविवि में जल्द ही डाकघर खोला जाएगा। गुरुवार को डाक विभाग के अधिकारियों ने लविवि का दौरा किया। विभाग की ओर से प्रवर अधीक्षक भारतीय डाक विभाग आलोक ओझा व उनकी टीम ने कुलपति एसके शुक्ला के साथ बैठक कर योजना तैयार की। घंटे भर चली बैठक में लविवि के शताब्दी वर्ष पर डाक टिकट भी जारी किए जाने पर सहमति बनी। लखनऊ विश्वविद्यालय में स्नातक व परास्नातक समेत अन्य पाठ्यक्रमों के करीब 25 हजार से अधिक नियमित विद्यार्थी हैं। वहीं 1700 कर्मचारी हैं। जिन्हें डाक सुविधाओं के लिए कैंपस से बाहर जाना पड़ता है। इसके चलते समय अधिक व्यय होने के साथ ही अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ता था। इस बात को ध्यान में रखते हुए लविवि ने विद्यार्थियों को डाकघर की सुविधाएं कैंपस में मुहैया कराने का निर्णय लिया। बताया गया कि छात्र और लविवि कर्मचारी लंबे समय से इस सुविधा की मांग कर रहे थे। कुलपति लविवि एसके शुक्ल ने बताया कि विद्यार्थियों की डिग्री आदि उनके घर पहुंचाने की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इस निर्णय से उन्हें विवि के चक्कर काटने से निजात मिलेगी। इसके अलावा अक्सर पड़ने वाले डाकघर से जुड़े काम भी बच्चे कैंपस में निपटा सकेंगे। भारतीय डाक विभाग प्रवर अधीक्षक आलोक ओझा के मुताबिक, विवि की ओर से डाकघर स्थापित करने का प्रस्ताव मिल गया है। प्रक्रिया पूरी कर जल्द ही लविवि द्वारा निर्धारित परिसर में डाकघर का शुभारंभ होगा। सौवें वर्ष पर लविवि ने पांच रुपये का डाक टिकट भी जारी किया है। एबीवीपी राज्य विश्वविद्यालय प्रमुख विवेक सिंह (मोनू) का कहना है कि छात्रहित में लिया गया यह निर्णय सराहनीय है। लंबे समय के बाद विद्यार्थियों की सुविधाओं के लिए ऐसा कदम उठाया गया है। इससे विद्यार्थियों को बहुत राहत मिलेगी।